आजमगढ़ यूँ तो समाजवादियों का गढ़ रहा है लेकिन मौजूदा हालत में यहाँ के तीन दलबदलू पूर्व सांसद भाजपा के दर पर हैं. एक समय यह तीनों समाजवादी थे. लेकिन दल बदलने वाले यह लोग सपा में नहीं रह सके। अब यह तीनों लोग भाजपा से विधानसभा का टिकट चाहते हैं। इन्हें लगता है कि इस बार भाजपा ही सरकार बनाएगी और ये लोग प्रदेश सरकार में मंत्री बना दिये जायेंगे।
इन तीनों में रमाकान्त यादव, दारा सिंह चौहान एवं दरोगा प्रसाद सरोज हैं। इनमें जगजीवन राम की कांग्रेस (जे) से अपना राजनैतिक जीवन शुरू करने वाले बाहुबली रमाकान्त यादव जिले की फूलपुर सीट से विभिन्न दलों से पांच बार विधायक व आजमगढ़ संसदीय सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। बसपा सांसद रहते हुए उन्होंने अपने बेटे अरूणकान्त यादव को फूलपुर विधानसभा सीट से सपा का टिकट दिलवाया और खुद प्रचार करके उसे विधायक बनाने में सफल रहे। उन्हें बसपा की नाराजगी झेलनी पडी और तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने दलबदल के कारण उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। उपचुनाव हुआ तो सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। सपा प्रत्याशी के रूप में बलराम यादव मैदान में आ गये। नाराज होकर रमाकान्त यादव भाजपा में चले गए और लोकसभा चुनाव लड़े मगर हार गये। उपचुनाव में बसपा से अकबर अहमद डम्पी जीत दर्ज कराने में कामयाब रहे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर रमाकान्त यादव जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इसके साथ ही लोकसभा के चुनाव में इस जिले में भाजपा को पहली बार कामयाबी मिली।
लोकसभा के 2014 के चुनाव में सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के मैदान में आये और रमाकान्त यादव हार गये। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी। अब विधानसभा चुनाव में वह मंत्री बनने की चाहत में आजमगढ़ सदर सीट से टिकट मांग रहे
दारा सिंह चौहान भाजपा से मऊ जिले की मधुवन सीट से टिकट चाहते हैं। दारा बसपा व सपा से एक-एक बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा के चुनाव में वह घोसी सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीते और लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता भी चुने गये। वर्ष 2014 के आम चुनाव में वह घोसी सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव तो लड़े मगर हार गये। बाद मे वह भाजपा में शामिल हो गये। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें दो विधानसभा सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी। वह दोनों सीटें भाजपा की झोली में डालने में कामयाब रहे। यही वजह रही कि भाजपा ने उनको पार्टी के पिछड़ा वर्ग विंग का अध्यक्ष बना दिय है।
सपा-बसपा गठबन्धन के समय जिले की मेहनगर सुरक्षित सीट से सपा परचे पर विधानसभा पहुंचे दरोगा प्रसाद सरोज सपा के टिकट पर लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा उन्हें मेहनगर सीट से उम्मीदवारी दे रही थी मगर वह लालगंज सुरक्षित सीट से उम्मीदवारी चाहते थे। सपा ने मेहनगर से बृजलाल सोनकर व लालगंज से बेचई सरोज को उम्मीदवारी दे दी। यह दोनों जीत गये। वर्ष 2014 के आम चुनाव में भी वह लालगंज सुरक्षित सीट से लोकसभा का टिकट चाहते थे। सपा ने पहले दूधनाथ सरोज फिर दरोगा प्रसाद सरोज और बाद में लालगंज के अपने विधायक बेचई सरोज को उम्मीदवारी दी। यह सीट सपा हार गयी और नये चेहरे के रूप में नीलम सोनकर को भाजपा के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचने का अवसर प्राप्त हुआ। इसी लोकसभा चुनाव के दौरान दरोगा सपा से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गये थे। यहां पर भाजपा को पहली बार मिली जीत का श्रेय इनको भी दिया गया।