दोस्तों, आज के दौर में सोशल मीडिया की अहम भूमिका है, किसी को बदनाम करना हो या अपने-आपको फेमस करना हो। इसके लिए शायद एक इमोश्नल वीडियो या दुःख भरी कहानी पर्याप्त है। पर क्या सच है, और क्या गलत है? इस पर आप सभी अपने विवेक का प्रयोग किये बगैर उसे फॉरवर्ड करने लगते है। क्या यह सही है?
अभी हाल ही में सीमा सुरक्षा बल के एक सैनिक ने वीडियो के जरिये आरोप लगाया कि, दाल स्वादिष्ट नही मिलती है और नास्ते में सिर्फ जला हुआ पराठा मिलता है। अगर वह सैनिक ये कहता कि भोजन अच्छा नही मिलता है तो मैं भी सहमत होता। लेकिन इस बात से सहमत नही हुआ जा सकता कि नास्ते में सिर्फ जला हुआ शूखा पराठा मिलता है।
इस देश की किसी भी फोर्स में शूखा पराठा मिले ऐसा हो नही सकता। आर्मी में लोग देश सेवा के लिए जाते हैं वहाँ विषम माहौल और परिस्तिथियों में ड्यूटी करनी होती है और उन कठिन परिस्तिथियों और विषम मौसम में मेस के व्यजन और पकवान की उम्मीद नही की जा सकती। जबकि जो कुछ भी कैसे भी खाने को मिलता है उसमे गुजर बसर करने की कठिन ट्रेनिंग देके उनको मानसिक और शारीरक रूप से तैयार किया जाता है। ऐसे में किसी सिपाही का इस प्रकार से अति संवेदनशील मुद्दों को हवा देने का औचित्य देहद्रोह के समान प्रतीत होता है। उसकी इस घटना से भारत की विश्व स्तर पे छवि धूमिल हुई है।